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पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय और डॉ. गौरव संजय ने सिकॉट वर्ल्ड कांग्रेस में प्रस्तुत किए नवाचारी शोध

देहरादून, 5 सितम्बर 2025। प्रख्यात ऑर्थोपीडिक सर्जन पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय और उनके पुत्र डॉ. गौरव संजय ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का गौरव बढ़ाया। दोनों चिकित्सकों ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में आयोजित 45वें सिकॉट ऑर्थोपीडिक वर्ल्ड कांग्रेस (3-5 सितम्बर 2025) में अपने महत्वपूर्ण क्लीनिकल अध्ययन प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर पिता-पुत्र की चिकित्सक जोड़ी ने उन गंभीर ऑर्थोपीडिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिनका सामना विकसित और विकासशील दोनों देशों की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में किया जाता है।

डॉ. बी. के. एस. संजय का शोध

अपने शोधपत्र में डॉ. बी. के. एस. संजय ने बताया कि मीडियल ओपन वेज हाई टिबियल ऑस्टियोटॉमी तकनीकी रूप से सरल और आर्थिक रूप से किफायती प्रक्रिया है। यह टोटल नी रिप्लेसमेंट की तुलना में ओस्टियोआर्थराइटिस के रोगियों के लिए प्रभावी विकल्प हो सकती है। खासकर एशियाई देशों में, जहाँ पालथी मारकर बैठना और स्क्वाटिंग दैनिक जीवन का हिस्सा है, यह विधि अत्यंत उपयोगी साबित होती है।

डॉ. गौरव संजय का शोध

वहीं, डॉ. गौरव संजय ने अपने अध्ययन में पर्क्यूटेनियस नेगेटिव सक्शन ड्रेनेज तकनीक को कंपार्टमेंट सिंड्रोम से बचाव की सुरक्षित और प्रभावी विधि बताया। यह तकनीक इंट्रा-आर्टिकुलर प्रॉक्सिमल टिबिया फ्रैक्चर के बाद गंभीर जटिलताओं की आशंका को कम करती है।

उन्होंने सेरेब्रल पाल्सी पर भी अपने निष्कर्ष साझा किए। डॉ. गौरव के अनुसार, भारत जैसे विकासशील देशों में यह रोग अधिक पाया जाता है और अक्सर सामाजिक-आर्थिक कारणों से उपचार में देरी होती है। अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि युवा रोगियों में शल्य-चिकित्सा अधिक संतोषजनक परिणाम देती है और जल्दी उपचार शुरू करने से सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

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