
देहरादून। उत्तराखण्ड के भू-कानून (Land Law) में आवश्यक संशोधन की मांग को लेकर ‘मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति’ ने आज जिलाधिकारी, देहरादून के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे एक बार फिर भू कानून पर बड़ा आंदोलन करेंगे।
नगर निकायों को कानून में शामिल करने की मुख्य मांग
समिति के संयोजक लूशुन टोडरिया ने ज्ञापन में कहा कि वर्तमान भू-कानून स्थानीय परिस्थितियों, भौगोलिक संरचना और जनसंख्या दबाव के अनुरूप नहीं है, जिसके कारण स्थानीय लोगों की भूमि सुरक्षित नहीं है और बाहरी हस्तक्षेप प्रभावी रूप से नहीं रुक रहा है।
टोडरिया ने ज़ोर देकर कहा कि नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों को भू-कानून में सम्मिलित किए बिना यह कानून प्रभावी नहीं बन पाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी प्रमुख पर्यटन स्थल इन्हीं नगर निकायों के अंतर्गत आते हैं। इन क्षेत्रों में बाहरी लोगों द्वारा अत्यधिक मात्रा में जमीन की खरीद-फरोख्त के कारण स्थानीय लोगों के हाथ से रोजगार छिन गया है। उन्होंने हरिद्वार सहित संपूर्ण राज्य को कानून के दायरे में लाने की मांग की है।
‘मूल निवासी की परिभाषा’ स्पष्ट करने पर ज़ोर
समिति के सचिव राकेश नेगी ने कहा कि जब तक सरकार की तरफ से मूल निवासी की परिभाषा स्पष्ट नहीं होगी, तब तक मजबूत भू-कानून की बात करना बेमानी है।
मीडिया प्रभारी आशीष नौटियाल ने भी सख्त मांगें रखीं। उन्होंने कहा कि कृषि भूमि के गैर-कृषि उपयोग पर सख्त शर्तें लागू की जाएं। इसके अलावा, पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि हस्तांतरण के लिए पर्यावरणीय अनुमति अनिवार्य की जाए। साथ ही, एक व्यक्ति या एक कंपनी द्वारा बार-बार जमीन खरीदने और बेचने पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।
सरकार से शीघ्र सुधार लागू करने का आग्रह
समिति ने सरकार से इन सभी सुधारों को शीघ्र लागू करने का आग्रह किया है, ताकि राज्य की भूमि, पर्यावरण और स्थानीय निवासियों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
ज्ञापन सौंपते समय समिति के पदाधिकारी और सदस्य – गगन बौड़ाई, पंकज उनियाल, सुमित थपलियाल, प्रांजल राणा एवं अन्य सदस्य मौजूद रहे।


