
देहरादून : मंगलवार को गोवर्धन पूजा का पावन पर्व हर्षोल्लास और धार्मिक आस्था के साथ मनाया गया। भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन श्रद्धालुओं ने प्रदेशभर के मंदिरों में गोवर्धन पर्वत और गौ-धन की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि और शांति की कामना की।
भव्य आयोजन में उमड़ी भीड़
इस शुभ अवसर पर, राजधानी देहरादून में भाजपा नेता और समाजसेवी के अध्यक्ष जोगिंद्र सिंह पुंडीर की ओर से गोवर्धन पूजा का एक सार्वजनिक आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। पारंपरिक रीति-रिवाजों से गोवंश की पूजा की गई और अन्नकूट का भोग लगाया गया। पूरा वातावरण “जय गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण” के जयघोष से गुंजायमान हो उठा।
गौ-सेवा और पर्यावरण संरक्षण का संदेश
कार्यक्रम के आयोजक जोगिंद्र सिंह पुंडीर ने इस अवसर पर कहा कि गोवर्धन पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह गौ-सेवा और पर्यावरण संरक्षण का महत्वपूर्ण संदेश भी देता है। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर देवराज इंद्र के अभिमान को तोड़ा था और प्रकृति के महत्व को स्थापित किया था।
‘गाय में है देवी लक्ष्मी का वास’
पुंडीर ने ‘अन्नकूट पर्व’ के महत्व को बताते हुए कहा, “गोवर्धन पर्व को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन विविध प्रकार के अन्न से भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है। गाय हमारे जीवन और संस्कृति का अभिन्न अंग है। गाय में देवी लक्ष्मी का वास माना गया है, इसलिए गोवर्धन पूजा के दिन गौ-सेवा को विशेष महत्व दिया गया है।”
पूजा स्थल पर दीपों की सुंदर सजावट, फूलों की मनमोहक सुगंध और भक्ति गीतों ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। लोगों ने एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएं दीं और देश व प्रदेश की समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
पुंडीर ने अंत में कहा कि गोवर्धन पूजा हमें प्रकृति, अन्न और गौ-धन के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का संदेश देती है। उन्होंने जोर देकर कहा, “गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप कहा गया है, और इस पर्व का उद्देश्य समाज में सेवा, सह-अस्तित्व और संतुलन की भावना को मजबूत करना है।”


