
देहरादून 29 अक्टूबर : आज विश्व में वर्ल्ड स्ट्रोक दिवस मनाया जा रहा है जिसमें समूचे विश्व में स्ट्रोक के खतरे और उपचार के लिए लोगों को जनजागरण किया जा रहा है, बुधवार को देहरादून में मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पताल मैक्स के डॉक्टर्स ने प्रेस वार्ता के माध्यम से उत्तराखंड के लोगों में स्ट्रोक्स के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी साझा की ।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य सुविधाओं के डगमगे ढांचे से तो उत्तराखंड के लोग परिचित ही हैं, पहाड़ी जनपदों में स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव और स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी से स्ट्रोक्स के मरीजों को मैक्स अस्पताल के डॉक्टर्स ने एक रामबाण सुझाव सरकार को दिया है , मीडिया से बातचीत में मैक्स अस्पताल के डॉक्टर शमशीर द्विवेदी ने बताया पहाड़ी जनपदों में आपातकाल के दौरान स्ट्रोक्स पड़ने पर मरीज को टेलीमेडिसिन व्यवस्था के ज़रिए कम समय में पहाड़ों पर ही आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और सॉफ्टवेर की मदद से त्वारित उपचार देते हुए क्लॉट बस्टर दिया जा सकता है जिससे कई मरीजों की अमूल्य जिंदगी बचाई जा सकती है।इसके साथ ही न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर नितिन गर्ग ने बताया अमेरिका जैसे बड़े देशों में स्ट्रोक से बचने के लिए सरकार द्वारा कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिसके ज़रिए आम जनमानस को स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं के उपचार के लिए जनजागरण किया जा रहा है ।
उत्तराखंड में शराब और तंबाकू के सेवन से अधिक बढ़ रहे स्ट्रोक्स मरीज़ों के आंकड़े
स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या की बात करें तो पिछले कुछ तीन दशकों से भारत में स्ट्रोक्स से ग्रसित मरीज़ों की संख्या बढ़ती जा रही है, उत्तराखंड में भी साल दर साल स्ट्रोक के मरीज़ों में बढ़ोतरी देखी जा रही है जिसके लिए डॉक्टर शमशीर द्विवेदी ने अधिक मात्रा में तंबाखू और शराब का सेवन के साथ ही खानपान और मॉडर्न लाइफ़स्टाइल को मुख्य कारण बताया है ।
स्ट्रोक के लक्षण
स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या को शुरुआती दौर में अगर पहचान लिया जाए तो उपचार कर ठीक हुआ जा सकता है , स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों में कुछ मुख्य लक्षण हैं शरीर का बैलेंस न बनना, धुँधला दिखना, मुँह में टेढ़ापन आना (लकवा की शिकायत), हाथ और पैर में कमज़ोरी आने के साथ ही ठीक से शब्दों का उच्चारण न कर पाना जैसे स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण है जिनकी पहचान कर आप शुरुआती दौर में ही अच्छे डॉक्टर्स की सलाह लेकर उपचार करवा सकते हैं ।
समय से अस्पताल पहुँचाना ज़रूरी
स्ट्रोक के लक्षण या दौरे पड़ने पर कम से कम समय में अस्पताल पहुँचना सबसे बेहतर,प्राथमिक और लाभकारी होता है । डॉक्टर्स का कहना है कि जितनी जल्द से जल्द स्ट्रोक पढ़ने के बाद मरीज़ को उपचार मिल जाए उतना बेहतर होता है ।

