
देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर धामी सरकार द्वारा मनाए जा रहे ‘रजत जयंती’ उत्सव को राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने “जनता से छल का आत्ममंथन दिवस” बताया है। पार्टी ने सीधे तौर पर सवाल उठाया है कि दो दशक से अधिक बीत जाने के बाद भी राज्य आंदोलन के सपने क्यों अधूरे हैं?
पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी पंकज कपूर ने इस अवसर को उत्सव नहीं, बल्कि धामी सरकार की जवाबदेही का वक्त करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य अपने मूल लक्ष्यों से भटक गया है और आंदोलन के शहीदों का ‘स्वराज और स्वाभिमान’ का सपना कुर्सी की राजनीति में कुचल दिया गया है।
“आज पहाड़ों के गांव वीरान हैं, युवा बेरोजगार हैं और सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों में सीमित हैं।” – पंकज कपूर
खाली घर दे रहे हैं असफलता का सबूत: कपूर
पंकज कपूर ने सरकार पर आरोप लगाया कि विशेष विधानसभा सत्र में उसने केवल उपलब्धियों का बखान किया, लेकिन पलायन, बेरोजगारी, आपदा प्रबंधन और भ्रष्टाचार जैसे बुनियादी मुद्दों पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
उन्होंने तीखे शब्दों में कहा, “जब मुख्यमंत्री आंकड़ों से उपलब्धि गिनाते हैं, तब पहाड़ का खाली घर उनकी नीतियों की असफलता का सबूत देता है।”
सरकारी इवेंट बनकर रह गया रजत जयंती समारोह
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार ने रजत जयंती समारोह को जनता से जोड़ने की बजाय इसे केवल सरकारी इवेंट बना दिया है। आंदोलनकारियों, युवाओं और किसानों की भूमिका को हाशिये पर रखकर कार्यक्रम को फोटो सेरेमनी का रूप दे दिया गया।
अब जनता को परिणाम चाहिए, नीति चाहिए
कपूर ने घोषणा की कि अब उत्तराखंड में “जवाबदेही की राजनीति” का दौर शुरू होगा। उन्होंने कहा कि अब जनता को “वादे नहीं, परिणाम” चाहिए।
- उत्तराखंड को “नारे नहीं – नीति चाहिए”
- “भाषण नहीं – रोजगार चाहिए”
अंत में, पंकज कपूर ने धामी सरकार से सीधा सवाल किया कि यदि रजत जयंती के 25 वर्ष बाद भी उत्तराखंड में पलायन, महंगाई, और बेरोजगारी जस की तस है, तो आखिर जश्न किस बात का है?

