हिमालयी राज्य उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील माना जाता है, जहां अक्सर भूकंप, जंगल की आग और अन्य प्राकृतिक संकट देखने को मिलते हैं। इन्हीं खतरों को ध्यान में रखते हुए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आज पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल आयोजित की गई।
इस राज्यव्यापी अभ्यास में 13 जनपदों के 80 से अधिक स्थानों पर एक साथ मॉक ड्रिल की गई। इस दौरान इमरजेंसी रेस्क्यू टीमें, स्वास्थ्य विभाग और परिवहन विभाग भी सक्रिय रूप से शामिल हुए। ड्रिल के माध्यम से यह अभ्यास किया गया कि अचानक आपदा आने पर किस तरह से लोगों को सुरक्षित निकाला जाए और कैसे फंसे हुए व्यक्तियों को तेज़ी से रेस्क्यू किया जाए।
देहरादून स्थित आपदा परिचायक केंद्र से मुख्य सचिव आनंद वर्धन की अध्यक्षता में कई वरिष्ठ अधिकारियों ने पूरे अभ्यास की रियल-टाइम मॉनिटरिंग की। मुख्य सचिव ने कहा कि समय-समय पर मॉक ड्रिल का आयोजन बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे राज्य की आपदा तैयारी का मूल्यांकन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अभ्यास से उन वीक पॉइंट्स का भी पता चलता है जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है, साथ ही इससे रिस्पांस टाइम को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि इस बार की मॉक ड्रिल पूरी तरह भूकंप आधारित थी। इसमें बिल्डिंग, स्कूल, पुल, सड़क मार्ग और टनल के ध्वस्त होने की काल्पनिक सूचनाओं पर प्रतिक्रिया की जांच की गई। विभिन्न जनपदों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया और जल्द ही उन कमियों पर कार्य किया जाएगा, चाहे वे उपकरणों की हों, मैनपावर की हों या अन्य किसी प्रकार की।

