
देहरादून, 29 नवंबर, 2025: मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून ने ट्रांस-एक्सिलरी मिनिमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD) क्लोजर को सफलतापूर्वक करके दिल की बीमारियों के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह विशेष हार्ट सर्जरी तकनीक 32 साल के एक पुरुष मरीज़ पर इस्तेमाल की गई, जो पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी की तुलना में एक सुरक्षित, तेज़ और कम दर्द वाला विकल्प है।
🩺 जन्मजात डिफेक्ट और देर से लक्षण
रूपेंद्र चौहान नाम के मरीज़ जन्म से ही हार्ट डिफेक्ट (दिल में छेद) के साथ जी रहे थे, लेकिन उन्हें बचपन या शुरुआती जवानी में कभी कोई गंभीर लक्षण महसूस नहीं हुआ। इसी साल उन्हें रोज़मर्रा के कामों के दौरान हल्की सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगी।
परेशान होकर, उन्होंने मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून का रुख किया, जहाँ कार्डियक सर्जरी (CTVS), वैस्कुलर सर्जरी, कार्डियोलॉजी के विज़िटिंग कंसल्टेंट डॉ. रवि कुमार सिंह की कार्डियक टीम ने डिटेल में जांच की। जांच में पता चला कि उन्हें बड़ा ASD है, जो दो ऊपरी चैंबर को अलग करने वाली दिल की दीवार में एक बड़ा छेद है, साथ ही उसमें एन्यूरिज्मल सेप्टल टिशू (दीवार का एक कमज़ोर और उभरा हुआ हिस्सा) भी मौजूद है।
✨ मिनिमली इनवेसिव तकनीक का इस्तेमाल
डॉ. रवि कुमार सिंह ने केस के बारे में बताया, “पूरी जांच के बाद, हमने मिनिमली इनवेसिव ट्रांस-एक्सिलरी तरीका चुना। यह एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जो पारंपरिक स्टर्नोटॉमी (छाती की हड्डी को खोलना) से बचाती है।”
यह सर्जरी हाथ के नीचे एक छोटे से, छिपे हुए चीरे का इस्तेमाल करके की गई। यह तरीका कॉस्मेटिक और रिकवरी के लिए ज़रूरी फायदे देता है, जिससे मरीज़ को कम दर्द होता है, खून की कमी कम होती है, और वह रोज़ के कामों में जल्दी लौट पाता है।
तेज रिकवरी, तीसरे दिन छुट्टी
जहाँ पारंपरिक ASD सर्जरी में आमतौर पर 7-8 दिन हॉस्पिटल में रहना पड़ता है, वहीं मिस्टर चौहान को ऑपरेशन के तीसरे ही दिन छुट्टी दे दी गई। वह स्थिर, दर्द-मुक्त थे, और इतना आराम से थे कि खुद गाड़ी चलाकर घर जा सकते थे।
डॉ. सिंह ने कहा, “मिस्टर चौहान जैसे युवा मरीज़ों के लिए, मिनिमली इनवेसिव हार्ट सर्जरी एक गेम-चेंजर है, जिससे उन्हें बहुत तेज़ी से नॉर्मल ज़िंदगी में लौटने में मदद मिलती है।”

