इलेक्टोरल बॉन्ड: एक विवादास्पद लेकिन जरूरी सुधार
इलेक्टोरल बॉन्ड (ईबी) एक वित्तीय साधन है जो राजनीतिक दलों को पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से धन प्राप्त करने में मदद करने के लिए बनाया गया है। ईबी एक बैंक ड्राफ्ट जैसा होता है जो किसी भी भारतीय नागरिक या कंपनी द्वारा खरीदा जा सकता है और किसी भी राजनीतिक दल को दान दिया जा सकता है। ईबी की वैधता एक साल की होती है और इसे उसी वित्तीय वर्ष के दौरान राजनीतिक दल द्वारा भुनाया जाना चाहिए।
ईबी को 2017 में नोटबंदी के बाद पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य काले धन को चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखना था। ईबी को चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जाता है। हालांकि, ईबी को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं, जैसे कि यह बड़े कॉर्पोरेट घरानों को राजनीतिक दलों पर अनुचित प्रभाव डाल सकता है।
ईबी के लाभ
- पारदर्शिता: ईबी चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाते हैं। सभी ईबी लेनदेन बैंक के माध्यम से होते हैं, इसलिए उन्हें ट्रैक किया जा सकता है।
- जवाबदेही: ईबी राजनीतिक दलों को अधिक जवाबदेह बनाते हैं। राजनीतिक दलों को यह बताना होगा कि उन्हें किससे ईबी प्राप्त हुए हैं और उन्होंने उस धन का उपयोग कैसे किया है।
- काले धन में कमी: ईबी काले धन को चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखने में मदद करते हैं। ईबी केवल बैंकों के माध्यम से ही खरीदे जा सकते हैं और उन्हें बैंकों के माध्यम से ही भुनाया जा सकता है।
ईबी की चिंताएं
- कॉर्पोरेट प्रभाव: कुछ लोगों को चिंता है कि ईबी बड़े कॉर्पोरेट घरानों को राजनीतिक दलों पर अनुचित प्रभाव डालने में सक्षम बना सकते हैं। बड़े कॉर्पोरेट घरान बड़ी मात्रा में ईबी खरीद सकते हैं और राजनीतिक दलों को दान दे सकते हैं। इससे राजनीतिक दल कॉर्पोरेट हितों के प्रति अधिक उत्तरदायी हो सकते हैं।
- राजनीतिक दलों की वित्तीय स्वतंत्रता में कमी: कुछ लोगों को चिंता है कि ईबी राजनीतिक दलों की वित्तीय स्वतंत्रता को कम कर सकते हैं। राजनीतिक दल ईबी पर निर्भर हो सकते हैं और चंदा देने वालों के प्रति उत्तरदायी हो सकते हैं।
निष्कर्ष
ईबी चुनावी चंदे में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार है। हालांकि, ईबी को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं, जैसे कि यह बड़े कॉर्पोरेट घरानों को राजनीतिक दलों पर अनुचित प्रभाव डाल सकता है। ईबी के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाते हुए और नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए सरकार को ईबी के नियमों में सुधार करना चाहिए।