देहरादून, 31 जुलाई: उत्तराखंड ने जीएसटी में पारदर्शिता और जालसाजी रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य अब जीएसटी में बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण लागू करने वाला उत्तर भारत का पहला और देश का चौथा राज्य बन गया है। इस नए सिस्टम का शुभारंभ वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने किया।
क्या है बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण?
इस सिस्टम के तहत जीएसटी पंजीकरण के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति का बायोमेट्रिक डेटा (उंगलियों के निशान या आंखों की रेटिना स्कैन) आधार डेटा से मिलान किया जाएगा। इससे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण कराने और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का गलत दावा करने की संभावना कम हो जाएगी।
क्यों है यह कदम महत्वपूर्ण?
- फर्जी पंजीकरण पर रोक: इस सिस्टम से जीएसटी में फर्जी पंजीकरण कराने वाले लोगों पर लगाम लगेगी।
- राजस्व में वृद्धि: फर्जी पंजीकरण और आईटीसी धोखाधड़ी रोकने से राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी।
- पारदर्शिता: इस सिस्टम से जीएसटी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
- राज्य के सभी जिलों में 22 जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किए गए हैं।
- इन केंद्रों पर आवेदक को अपना बायोमेट्रिक डेटा देना होगा।
- यह डेटा आधार डेटा से मिलान किया जाएगा।
- मिलान होने पर ही पंजीकरण प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
क्या होंगे फायदे?
- राज्य को होगा लाभ: गुजरात में इस सिस्टम को लागू करने के बाद पंजीकरण आवेदन में 55% की कमी आई है। उत्तराखंड में भी इससे करीब 100 से 150 करोड़ रुपये का राजस्व जुटने की उम्मीद है।
- सच्चे व्यापारियों को होगा लाभ: इस सिस्टम से सच्चे व्यापारी को लाभ होगा क्योंकि अब फर्जी व्यापारियों को जीएसटी सिस्टम में प्रवेश करना मुश्किल होगा।
आगे की राह
उत्तराखंड सरकार का मानना है कि इस नए सिस्टम से राज्य में जीएसटी सिस्टम और अधिक मजबूत होगा और राजस्व में वृद्धि होगी। अन्य राज्यों को भी उत्तराखंड के इस कदम से प्रेरणा मिल सकती है।