देहरादून: उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के प्रबंध निदेशक अनिल यादव को दो साल का सेवा विस्तार दिए जाने के फैसले ने प्रदेश की सियासत में तूफान ला दिया है। भाजपा और कांग्रेस इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं।
कांग्रेस ने इस फैसले को भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला बताया है। पार्टी का आरोप है कि अनिल यादव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हुए हैं और सरकार उन्हें संरक्षण दे रही है। केदारनाथ उपचुनाव के मद्देनजर कांग्रेस इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है।
दूसरी ओर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इस मामले में मुख्यमंत्री से बात करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हालांकि किसी को बिना सबूत के दोषी नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन इस फैसले की समीक्षा जरूर होनी चाहिए।
कई योग्य उम्मीदवारों को लगा झटका
यूपीसीएल एमडी के पद के लिए कई योग्य उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, लेकिन अनिल यादव को सेवा विस्तार मिलने से उन्हें निराशा हुई है। इनमें संजय टम्टा, मदन राम आर्य, राजकुमार, मोहित जोशी, एनके बिष्ट, डीएस खाती, जसवंत सिंह, एससी बलूनी, जीएम, जीएस बुदियाल, जीएम और एके सिंह जैसे कई अनुभवी अधिकारी शामिल हैं।
अनिल यादव पर क्या हैं आरोप?
अनिल यादव पर आय से अधिक संपत्ति जुटाने, भ्रष्टाचार और उनके पुत्र की कंपनी के खिलाफ पिटकुल के 23 करोड़ के टेंडर को लेकर केस दर्ज होने जैसे गंभीर आरोप लगे हुए हैं।
क्या है पूरा मामला?
प्रदेश सरकार ने यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल यादव को दो साल का सेवा विस्तार दिया है। इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस लगातार हमलावर है। कांग्रेस का आरोप है कि भ्रष्टाचार के आरोपी अनिल यादव को सेवा विस्तार देकर सरकार साबित कर रही है कि वह भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इस मामले में मुख्यमंत्री से बात करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि इस फैसले की समीक्षा होनी चाहिए।
निष्कर्ष
यूपीसीएल एमडी का सेवा विस्तार का मामला प्रदेश की राजनीति में गरमा गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले पर सरकार क्या कदम उठाती है।
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