उत्तरकाशी की धराली त्रासदी को लेकर वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार परिषद के अध्यक्ष कर्नल अजय कोठियाल ने आपदा प्रबंधन तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
विश्व आपदा प्रबंधन समिट में संबोधित करते हुए कर्नल कोठियाल ने कहा कि धराली में “147 लोग अब भी मलबे में दबे हैं, और हम एक भी व्यक्ति को नहीं निकाल पाए हैं। यह आखिर किस तरह का आपदा प्रबंधन है?”
कर्नल कोठियाल ने तुलना करते हुए बताया कि सेना ने अपने 7 जवानों को सफलतापूर्वक निकाल लिया, लेकिन नागरिकों को बचाने में सिस्टम नाकाम साबित हुआ।
उन्होंने कहा कि “लापता लोगों के परिवार टूट चुके हैं, लेकिन हमारा तंत्र अभी तक प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाया है।”
कर्नल कोठियाल ने आपदा प्रबंधन विभाग और संबंधित वैज्ञानिक संस्थानों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा—
“धराली में वैज्ञानिक संस्थान और आपदा प्रबंधन टीमें कैंप क्यों नहीं कर रहे? मौके पर तकनीकी मदद कहां है?”
सबसे बड़ा आरोप उन्होंने NDRF के संचालन पर लगाया। उनके अनुसार—
“NDRF जैसे प्रशिक्षित बल से लेबर का काम करवाया गया, जबकि असली वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग मौके से गायब रहा।”
कर्नल कोठियाल ने चेतावनी दी कि यदि देश इसी तरीके से आपदाओं का सामना करता रहा, तो न केवल अपने लोगों को बचाने में असफल रहेगा बल्कि भविष्य में चीन जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने में भी मुश्किलें बढ़ेंगी।
उनके बयान के बाद राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है और कांग्रेस ने सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया है, आपदा प्रबंधन की विफलताओं को मुद्दा बनाते हुए।

