भारत का फर्टिलिटी बिजनेस: एक बढ़ता हुआ उद्योग
भारत में फर्टिलिटी बिजनेस पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। यह अनुमान है कि यह उद्योग 2023 तक 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो जाएगा। इस वृद्धि का मुख्य कारण भारत में बांझपन की बढ़ती दर है। अनुमान के अनुसार, भारत में हर 10 में से 1 जोड़ा बांझपन से पीड़ित है।
भारत में फर्टिलिटी बिजनेस में कई अलग-अलग प्रकार की सेवाएं शामिल हैं, जैसे कि आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन), आईसीएसआई (इंट्रा-साइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन), आईयूआई (इंट्रायूटरिन इंसेमिनेशन) और सरोगेसी। इन सेवाओं की मांग में हाल के वर्षों में वृद्धि हुई है, क्योंकि अधिक से अधिक जोड़े बांझपन के उपचार के लिए इन सेवाओं का विकल्प चुन रहे हैं।
भारत में फर्टिलिटी बिजनेस के विकास के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। इनमें शामिल हैं:
- बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण
- शिक्षा और आय में वृद्धि
- बदलती जीवनशैली
- देर से शादी और गर्भधारण में देरी
- बांझपन के बारे में बढ़ती जागरूकता
भारत में फर्टिलिटी बिजनेस के विकास के साथ ही इस उद्योग में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है। कई नए फर्टिलिटी क्लीनिक और अस्पताल खुल रहे हैं, और मौजूदा क्लीनिक और अस्पताल अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं। इस प्रतिस्पर्धा से मरीजों को बेहतर सेवाएं और कम कीमतें मिल रही हैं।
भारत में फर्टिलिटी बिजनेस के विकास के लिए कुछ चुनौतियां भी हैं। इनमें शामिल हैं:
- बांझपन के उपचार की उच्च लागत
- फर्टिलिटी क्लीनिक और अस्पतालों की गुणवत्ता और सुरक्षा में भिन्नता
- बांझपन के बारे में सामाजिक कलंक
- सरोगेसी और अन्य फर्टिलिटी उपचारों के बारे में कानूनी और नैतिक चिंताएं
हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद, भारत में फर्टिलिटी बिजनेस के भविष्य के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण है। यह उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, और यह अनुमान है कि यह आने वाले वर्षों में और अधिक बढ़ेगा।