चारों धामों में प्रमुख भगवान बद्रीनाथ जी के कपाट आज बंद हो गए हैं इसी के साथ उत्तराखंड में औपचारिक रूप से चार धाम यात्रा समाप्त हो गई है। आज ब्रह्म मुहूर्त में 3:33 पर भगवान बद्री विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। आपको बता दें कल देर शाम से ही मंदिर समिति ने कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू कर ली थी और पूरे मंदिर प्रांगण को कई कई कुंतल फो कुंतल फूलों से सजाया हुआ था। आज सुबह साढे चार बजे महाभिषेक पूजा की गई। महाभिषेक पूजा के बाद बाल भोग तथा दर्शन किए गए। इसके बाद 11 बजे दिन का राज भोग लगाया गया। इसके बाद दोपहर के 1 बजे से सायंकालीन आरतियां हुई। अपराह्न दो बजे लक्ष्मी जी के गर्भगृह में विराजमान किया गया। लक्ष्मी जी के गर्भगृह में आने से पहले कुबेर जी उद्धव जी का सभा मंडप में लाया गया। दोपहर ढाई बजे के लगभग कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई। भगवान बदरीविशाल को घृत कंबल पहनाये जाने के बाद अपराह्न तीन बजकर तैतीस मिनट पर कपाट बंद हो गए। पूरी बद्री घाटी भगवान बद्री विशाल के जयकारों से गूंज उठी और गढ़वाल राइफल्स की धुन पर सैकड़ो श्रद्धालु आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ भगवान कुबेर और उद्धव की उत्सव डोली के साथ पांडुकेश्वर के लिए रवाना हुए। वही इस बार की चार धाम यात्रा से छोटे-छोटे कारोबारी के भी चेहरे खिले हुए हैं । बद्री केदार समिति के आंकड़ों के मुताबिक इस बार 55 लाख यात्रियों ने चार धाम यात्रा के लिए पहुंचे थे, जिससे इन कारोबारीयों की आर्थिक की में सुधार हुआ है।
6 महीने तक देवी देवता करेंगे भगवान बद्रीनाथ जी की पूजा
बद्रीनाथ जी के कपाट बंद होने के बाद मनुष्य 6 महीने के लिए जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में भगवान बद्री विशाल की पूजा करते हैं और माना जाता है की 6 महीने स्वयं देवी देवता बद्रीनाथ में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। माना जाता है कपाट बंद करते समय जो दिया रावल जलाकर जाते हैं वह दिया जब शीतकाल के बाद मंदिर के कपाट फिर से खोले जाते हैं तो वह दिया जलता ही रहता है।