तीसरी बैठक को “सकारात्मक” बताने के बाद, किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 18 फरवरी को अगले दौर की वार्ता होगी। गुरुवार को हुई बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें मुख्य रूप से सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप से लागू करने की किसानों की मांग शामिल थी। हालांकि, इस मुद्दे पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।

किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों पर “विस्तृत चर्चा” की आवश्यकता जताई है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह दलेवाल ने कहा, “हमने केंद्रीय मंत्रियों (पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय) के साथ विस्तृत चर्चा की। चर्चा के बाद, सरकार ने कहा कि मांगों पर विस्तृत चर्चा की जरूरत है। उन्होंने अगली बैठक के लिए रविवार का फैसला किया है।”
सरकारत का कहना है कि वह किसानों की चिंताओं को समझती है और उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “हम किसानों के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं और उनके मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
हालांकि, कुछ किसान नेता सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) के जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा, “सरकार सिर्फ बातचीत कर रही है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। हम तब तक विरोध जारी रखेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।”
अगली बैठक में किसानों और सरकार के बीच क्या बातचीत होगी, यह देखना दिलचस्प होगा। अगर इस बार भी कोई ठोस समाधान नहीं निकला तो आंदोलन तेज होने की आशंका है।
अन्य महत्वपूर्ण बातें:
- बैठक में बिजली बिलों में राहत, फसल बीमा योजना में सुधार और भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव जैसे अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
- किसान संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अपना आंदोलन और तेज कर देंगे।
- सरकार का कहना है कि वह किसानों के साथ लगातार बातचीत कर रही है और उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

