मणिपुर हाई कोर्ट ने मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करने के संबंध में अपने 2023 के आदेश में संशोधन किया है। यह आदेश पिछले वर्ष विवादों और हिंसा का कारण बना था।

2023 का आदेश क्या था?
मार्च 2023 में, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मेइती समुदाय को ST सूची में शामिल करने की संभावना पर विचार करने का निर्देश दिया था। अदालत ने यह आदेश एक रिट याचिका पर पारित किया था, जिसमें दावा किया गया था कि मेइती वास्तव में एक अनुसूचित जनजाति थे, जिन्हें गलती से सूची से बाहर कर दिया गया था।
क्या हुआ बदलाव?
हाल ही में जारी एक संशोधित आदेश में, हाई कोर्ट ने 2023 के आदेश के उस हिस्से को हटा दिया है जिसमें राज्य सरकार को मेइती समुदाय को ST सूची में शामिल करने की संभावना पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने कहा कि उसका 2023 का आदेश गलत जानकारी पर आधारित था और वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
क्यों हुआ बदलाव?
हाई कोर्ट ने बताया कि 2023 के आदेश को पारित करते समय उसे गलत जानकारी दी गई थी। साथ ही, यह भी कहा गया कि ST सूची में किसी समुदाय को शामिल करना केवल केंद्र सरकार का अधिकार है, ना कि अदालतों का।
इस फैसले के क्या मायने हैं?
इस फैसले का मतलब है कि फिलहाल, मेइती समुदाय को ST सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि, यह फैसला अंतिम नहीं है और समुदाय केंद्र सरकार से इसे सूची में शामिल करने का अनुरोध कर सकता है।
प्रतिक्रियाएं:
- मेइती समुदाय के कुछ सदस्यों ने फैसले का स्वागत किया है, जबकि अन्य ने निराशा व्यक्त की है।
- आदिवासी समूहों ने भी इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं।
- राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी राय दे रहे हैं।
आगे क्या?
यह देखना बाकी है कि क्या मेइती समुदाय केंद्र सरकार से संपर्क करेगा और ST सूची में शामिल होने का अनुरोध करेगा। साथ ही, यह भी अनिश्चित है कि इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक रूप से क्या प्रतिक्रियाएं होंगी।