विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक ताजा रिपोर्ट ने भारत सहित दुनियाभर में साइबरबुलिंग के खतरनाक रूप से बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. रिपोर्ट के अनुसार, हर छठा बच्चा यानी 16 में से 1 बच्चा किसी न किसी रूप से साइबरबुलिंग का शिकार हो रहा है. यह आंकड़ा काफी डराने वाला है और यह तेजी से बढ़ती हुई समस्या की ओर इशारा करता है.
साइबरबुलिंग का मतलब ऑनलाइन किसी को परेशान करना, धमकाना या अपमानित करना होता है. यह आमतौर पर सोशल मीडिया, चैट रूम या ऑनलाइन गेम खेलते समय होता है. साइबरबुलिंग करने वाले अज्ञात हो सकते हैं, जो पीड़ित बच्चों के लिए इस समस्या को और भी गंभीर बना देता है.
इस रिपोर्ट में साइबरबुलिंग के कई रूपों को सामने लाया गया है, जैसे कि – अपमानजनक मैसेज भेजना, किसी की तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ करना, किसी को ऑनलाइन अलग-थलग करना या धमकियां देना. लगातार साइबरबुलिंग का सामना करने वाले बच्चों में अवसाद, चिंता और स्कूल जाने में परेशानी जैसी समस्याएं देखी गई हैं. कुछ गंभीर मामलों में तो आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठाने की आशंका भी रहती है.
WHO की रिपोर्ट बच्चों, अभिभावकों और सरकारों के लिए एक चेतावनी है. इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए जाने चाहिए. बच्चों को साइबरबुलिंग के बारे में जागरूक करना और उन्हें ऑनलाइन सुरक्षा के तरीके सिखाना बहुत जरूरी है. साथ ही, माता-पिता को भी अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.
सरकार को भी साइबरबुलिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाने चाहिए और इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए. स्कूलों में भी बच्चों को साइबरबुलिंग से बचने के उपाय सिखाने चाहिए ताकि वे सुरक्षित रूप से इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकें.
अगर आप या आपका कोई जानने वाला साइबरबुलिंग का शिकार हो रहा है, तो चुप न रहें. इसकी जानकारी माता-पिता, शिक्षक या किसी भरोसेमंद व्यक्ति को दें. साथ ही, साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर भी इसकी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.