
देहरादून: एक हैरान कर देने वाले मामले में, देहरादून की एक अदालत ने दो बेटियों द्वारा अपने पिता पर लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों को खारिज कर दिया है। पांच साल तक चली इस कानूनी लड़ाई में आखिरकार न्याय की जीत हुई है और निर्दोष पिता को जेल से रिहा कर दिया गया है।
क्या था मामला?
साल 2019 में, दोनों बहनों ने बाल कल्याण समिति को बताया था कि उनके पिता ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया था। हालांकि, अदालत में गहन जांच के बाद यह सामने आया कि पीड़िताओं के बयानों में कई विरोधाभास थे और उन्होंने अपने दोस्तों के कहने पर झूठे आरोप लगाए थे। मेडिकल रिपोर्ट में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई।
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अदालत का फैसला
विशेष न्यायाधीश पोक्सो अर्चना सागर ने सभी सबूतों का गहन अध्ययन करने के बाद पिता को बरी कर दिया। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा है।
क्या हैं इस मामले के मायने?
यह मामला हमें झूठे आरोपों के गंभीर परिणामों के बारे में सचेत करता है। ऐसे मामलों में न केवल निर्दोष व्यक्तियों का जीवन तबाह होता है बल्कि न्यायपालिका पर भी बोझ बढ़ता है। यह मामला यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका हमेशा सच्चाई की तलाश में रहती है और झूठे आरोपों को बर्दाश्त नहीं करती।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
- इस मामले में पिता को पांच साल तक जेल में रहना पड़ा।
- अदालत ने इस मामले में मेडिकल रिपोर्ट को भी महत्वपूर्ण माना।