
बिहार: गुमशुदगी और फिर कुएं में बैंक मैनेजर का शव…… यह कोई वेबसीरीज की स्क्रिपट नहीं बल्कि आज के बिहार की कहानी है वही सुशाशन बाबू वाला बिहार जहाँ बीते 10 दिनों में 10 से भी ज्यादा हत्याएँ हो चुकी हैं जब हत्या पर जिमेदारों से सवाल पूछा जाता है तो वे सुशाशन का दावा ठोकते आज भी नजर आते हैं हलांकि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आव्श्यकता नहीं, बिहार में ठीक विधासभा के चुनावों से पहले कानून व्यवस्था का आपराधियों ने पूरी तरीके से चीर हरण कर दिया है और प्रदेश के हुकमरान इन हत्याओं को आपसी रंजीश का एंगल देने में व्यस्त हैं। बिहार में कारोबारी, वकील, अध्यापक और अब बैंक मैनेजर की हत्या से आम जनता सहमी हुई है और उनको अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता सता रही है जिस लालू के जंगलराज वाले काल को जनता के बीच मुखर कर नीतीश बाबू को सत्ता प्राप्त हुई थी आज की कानून व्यवस्था देखकर लगता नहीं की नीतिश बाबू बिहार में कानून व्यवस्था स्थापित करने में सफल हुए हालाकिं कारोबारी की हत्या मामलें में लिप्त हत्यार मुहया कराने वाले बदमाश को मुठभेड़ में ढेर कर जरुर डमैज कंट्रोल करने की कोशीश की गई थी लेकिन बावजूद उसके बिहार में आज भी धांय-धांय की आवाज गूंज रही है और यह सुशाशन बाबू के पुलिस की बंदूक से नहीं बल्कि सुशाशन राज में पले रहे अपराधियो के तमंचे की है। बड़े सवाल उठते हैं की बिहार में पलायन हो रहा है और यह वाकई एक गंभीर मुद्दा है लेकिन इसके पीछे कानून व्यवस्था सबसे प्रमुख कारण है, जबतक कारोबारी और निवेशकों को बिना भय के व्यापारिक माहौल नहीं मिलेगा तबतक कैसे निवेशक यहाँ पूंजि निवेश करेंगे कैसे बिहार को इंडस्ट्री हब के रूप में स्थापित किया जाएगा कैसे रोजगार उपल्बध होगा और भल्ला कैसे ही पलायन रुकेगा। कई राजनैतिक जानकारों की मानें तो बिहार में हत्याओं का दौर तो चलता ही आ रहा है लेकिन चूंकि चुनाव नजीदीक हैं तो मीडिया और विपक्ष के लोग इसको ज्यादा प्रसारित कर रहें है । हालांकि देश में सावन का महीना भी शुरू हो गया है और बरसात का दौर भी जारी है लेकिन चुनाव ने बिहार के सियासी गालियारों को गरमाहाट देने का काम बसतूर जारी रखा है। 2025 के इस चुनाव में बिहार में एक नया विकलप और नया चहरा दिग्गज चुनावी रणनीतीकार प्रशांत किशोर भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रही है और उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। प्रशांत किशोर पीछले तीन सालों से संपूर्ण बिहार में पद यात्रा कर रहे हैं और लगभग 5 हजार गावों में प्रवास कर चुके, पीके को लोगों का बहुत स्नेह और प्यार मिल रहा और लोग उन्हें तीसरे विकल्प के रूप में देख रहें हैं। वैसे तो पीके भी और दलों की तरह सभी जरूरी मुद्दों की बात कर रहे हैं लेकिन अच्छी शिक्षा और पलायन रोकना उनके प्रमुख मुद्दों में है। क्योंकि पीके देश के अच्छे और दिग्गज चुनावी रणनीतीकार रहे हैं और उन्होंने इस दफा भी अपनी सारी ताकत और मशीनरी बिहार चुनाव में झोंक दिया है, साथ ही उन्होनें ने कहा कि उनका मुकाबला लालू की पार्टी से है और नितीश कुमार की पार्टी जेडीयू 25 से भी कम जीतेगी. बिहार में इस चुनाव जरूर नए समीकरण बनते नजर आ रहे हैं अब देखना होगा बिहार की जनता क्या इस दफा जाति से उठकर क्या नई सोच और अप्रौच के साथ जाती है या फिर राजग गठबंधन वाली नितीश सरकार को रीपीट करती है।