
भारतीय टीम के स्टार बल्लेबाज और पूर्व कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी अपने पैतृक गांव जैंती के ल्वाली पहुंचे। आज सुबह ग्राम ल्वाली के ग्रामीण तब दंग रह गए जब उन्होंने भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अपने बीच पाया, जी हां महेंद्र सिंह धोनी अपनी पत्नी साक्षी रावत के साथ उत्तराखंड के अपने पैतृक गांव पहुंचे हैं। सूत्रों की माने तो धोनी अपने कुल देवी देवताओं की पूजा के लिए अपने गांव पहुंचे हैं। धोनी को अपने बीच पाकर गांव वाले फूले नहीं समा रहे हैं हर कोई उनके साथ इस लम्हे को अपने फोन के कमरे में कैद कर लेना चाहता है। इससे पहले धोनी 20 साल पहले अपने पैतृक गांव आए थे। आपको बताने धोनी के माता-पिता काम की तलाश में उत्तराखंड से पलायन करके तब के बिहार और अब के झारखंड में बस गए थे। धोनी की पत्नी साक्षी रावत भी उत्तराखंड के रहने वाली हैं। साक्षी धोनी ने भी अपने सोशल मीडिया के माध्यम से धोनी के पैतृक गांव की तस्वीरें साझा की है।

उम्मीद है कि वह अगले कुछ दिन गांव में बिताएंगे, परिवार और दोस्तों के साथ मिलेंगे और स्थानीय दृश्यों और ध्वनियों का आनंद लेंगे। धोनी का जन्म और पालन-पोषण रांची, झारखंड में हुआ, लेकिन उनका परिवार अल्मोडा से है। उन्हें हमेशा अपनी जड़ों पर गर्व रहा है और जब भी संभव हुआ उन्होंने गांव का दौरा किया है। धोनी के अल्मोडा दौरे का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया है|
वे क्रिकेट में उनकी उपलब्धियों के लिए आभारी हैं और उन्हें अपने में से एक कहने में गर्व महसूस करते हैं। धोनी भारत में एक राष्ट्रीय आइकन हैं और उनकी विनम्रता, कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए उनकी प्रशंसा की जाती है। वह देश भर के लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।
धोनी की अल्मोडा यात्रा उनकी विनम्र शुरुआत और अपनी जड़ों से उनके मजबूत जुड़ाव की याद दिलाती है। क्रिकेट की दुनिया में वापसी से पहले यह उनके लिए आराम करने और तरोताजा होने का भी मौका है। हम एमएस धोनी को उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देते हैं। हमें उम्मीद है कि एमएस धोनी की अल्मोडा यात्रा अन्य युवाओं को अपने सपनों को आगे बढ़ाने और सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित करेगी।