
भारत में एक बार फिर किसानों का गुस्बा फूट पड़ा है और वे दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. पिछले आंदोलन के दौरान वापस लिए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर किए गए वादों को पूरा करने में सरकार की नाकामी को लेकर वे नाराज हैं. आइए जानते हैं इस आंदोलन के प्रमुख कारण:
अधूरे वादे: 2021 में हुए बड़े विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकार ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का वादा किया था. किसानों का आरोप है कि इन वादों को पूरा नहीं किया गया, जिससे उनमें असंतोष है.
मुख्य मांगें:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): सभी फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग, ताकि किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम मूल्य मिले और उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाया जा सके.
- कर्ज माफी: भारी कर्ज से बोझिल किसानों को राहत देने के लिए पूर्ण या आंशिक कर्ज माफी की मांग.
- अन्य मांगें: स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, किसानों और कृषि श्रमिकों को पेंशन देना, विश्व व्यापार संगठन से बाहर निकलना आदि.
वर्तमान नीतियों से असंतोष: किसान सरकार की मौजूदा कृषि नीतियों से असंतुष्ट हैं. उनका मानना है कि ये नीतियां उनकी आय, कर्ज और बाजार तक पहुंच से जुड़ी चिंताओं को दूर करने में अपर्याप्त हैं.
आगे बढ़ने की निराशा: अपनी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई न होती देख किसान सरकार पर दबाव बनाने के लिए फिर से प्रदर्शन का रास्ता अपना रहे हैं.
यह जानना जरूरी है कि ये जटिल मुद्दे हैं जिन पर अलग-अलग विचार हैं. यह सारांश एक सामान्य अवलोकन का प्रतिनिधित्व करता है. किसानों की शिकायतों और सरकार के रुख की बारीकियों को समझने के लिए आगे शोध की सलाह दी जाती है.
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