कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर राज्य में चल रही शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में दलितों और पिछड़ा वर्गों के अधिकारों को “छीनने” का आरोप लगाया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “यूपी सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उसे न तो शिक्षा की चिंता है और न ही युवाओं के भविष्य की। नई शिक्षक भर्ती में आरक्षण घटा कर पिछड़ों और दलितों के हक छीने जा रहे हैं। ये भाजपा का असली चरित्र है, सिर्फ जुमलेबाजी, असलियत में वंचितों का शोषण!”

क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश में पिछले साल नवंबर में 69,000 सहायक अध्यापक पदों के लिए भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था। इस भर्ती प्रक्रिया में अनुसूचित जाति (SC) के लिए 15%, अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 7% और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27% आरक्षण का प्रावधान किया गया था। हाल ही में, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) ने परीक्षा परिणाम जारी किया, जिसके बाद अभ्यर्थियों ने ओबीसी आरक्षण घटाकर 21% करने का विरोध किया है।
विपक्ष का आरोप
राहुल गांधी के अलावा, समाजवादी पार्टी (सपा) नेता शिवपाल यादव ने भी सरकार पर दलितों और पिछड़ों के साथ “छल” करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार ने पहले अनुसूचित जाति उप निरीक्षक भर्ती में धांधली की और अब शिक्षक भर्ती में ओबीसी आरक्षण घटा दिया। वादे पूरे करने के बजाय ये सरकार धोखा दे रही है।”
सरकार का पक्ष
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि ओबीसी आरक्षण घटाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक किया गया है। आयोग का कहना है कि पिछली भर्ती प्रक्रियाओं में ओबीसी आरक्षण का लाभ अधिकतम सीमा से अधिक हो गया था, इसलिए इस बार इसे समायोजित किया गया है।
विवाद की स्थिति
यह मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ चुका है। विपक्षी दल भाजपा सरकार पर दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दे रही है। यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में इस विवाद का क्या रुख होता है।