देहरादून: उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी की कार्यशैली से नाखुश होकर सैकड़ों युवा कार्यकर्ताओं ने एक साथ पार्टी छोड़ दी है। इनमें यूकेडी के केंद्रीय मीडिया प्रभारी मोहित डिमरी भी शामिल हैं।
युवाओं का कहना है कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व की कार्यशैली और पहाड़ के मुद्दों पर उनकी चुप्पी से वे काफी निराश थे। मोहित डिमरी ने कहा, “उत्तराखंड क्रांति दल की राज्य निर्माण में अहम भूमिका रही है। लेकिन अब पार्टी उस विचारधारा से दूर हो गई है जिसके लिए डीडी पंत, इंद्रमणि बडोनी जैसे नेता लड़े थे।”
डिमरी ने कहा कि प्रदेश के गंभीर मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व की चुप्पी ने जनता का भरोसा खो दिया है। इसी तरह, उत्तराखंड स्टूडेंट्स फेडरेशन के केंद्रीय अध्यक्ष लूशुन टोडरिया ने कहा कि जार्ज एवरेस्ट और मूल निवास भू कानून जैसे मुद्दों पर पार्टी का कोई सहयोग नहीं मिला।
युवा प्रांजल नौडियाल ने कहा कि पार्टी में निम्न स्तर की राजनीति और गुटबाजी हावी हो गई है। उन्होंने आशंका जताई कि पार्टी पर सत्तारूढ़ दल का प्रभाव हो सकता है।
केंद्रीय संगठन मंत्री राकेश बिष्ट ने कहा कि पार्टी नेतृत्व पहाड़ के मुद्दों पर कार्यक्रम करने के लिए तैयार नहीं था। छात्र प्रकोष्ठ के कुमाऊं संयोजक अरविंद बिष्ट ने कहा कि पार्टी में पहाड़ हित के कार्य नहीं हो रहे थे।
सैनिक प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रमोद काला ने कहा कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व की जनमुद्दों के प्रति उदासीनता के कारण उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी।
पार्टी से इस्तीफा देने वालों में केंद्रीय संगठन मंत्री पंकज उनियाल, गढ़वाल सयोंजक छात्र प्रकोष्ठ आशीष नौटियाल, पिथौरागढ़ जिलाध्यक्ष छात्र प्रकोष्ठ सुरेंद्र लष्पाल, नैनीताल जिलाध्यक्ष छात्र प्रकोष्ठ दीपक भारती सहित सैकड़ों लोग शामिल हैं।
यह घटनाक्रम उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।
मुख्य बिंदु:
- उत्तराखंड क्रांति दल के सैकड़ों युवा कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दिया।
- पार्टी की कार्यशैली और पहाड़ के मुद्दों पर चुप्पी से नाखुशी।
- मोहित डिमरी सहित कई प्रमुख नेता ने छोड़ा पार्टी।
- युवाओं का कहना है कि पार्टी में गुटबाजी और सत्तारूढ़ दल का प्रभाव है।