देहरादून: हाल ही में उत्तराखंड में हुई डाक सेवा भर्ती को लेकर राज्य में काफी बवाल मचा हुआ है। मेरिट के आधार पर हुई इस भर्ती में अधिकांश पदों पर पंजाब और हरियाणा के युवकों का चयन होना और उत्तराखंड के सिर्फ तीन युवकों (सभी अनुसूचित जाति से) का चयन होना स्थानीय युवाओं के लिए निराशाजनक रहा है।
मामला यहीं नहीं रुका। अब यह भी सामने आया है कि चयनित युवकों में से कई हिंदी भाषा भी नहीं लिख सकते हैं। यह खुलासा होने के बाद भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
विभाग की जांच में खुलासा: इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने जांच शुरू की है। प्रारंभिक जांच में चमोली और अल्मोड़ा से कुल छह अभ्यर्थियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भर्ती हासिल करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। विभाग अब अन्य अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की भी जांच कर रहा है।
निदेशक, डाक सेवाएं का बयान: डाक सेवाएं की निदेशक, अनसूया प्रसाद चमोला ने स्पष्ट किया है कि विभाग किसी भी गलत अभ्यर्थी का चयन बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि जो भी अभ्यर्थी फर्जी तरीके से भर्ती में सफल हुए हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय युवाओं में रोष: इस पूरे मामले ने स्थानीय युवाओं में काफी रोष पैदा किया है। उनका मानना है कि भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है और बाहरी राज्यों के युवकों को जानबूझकर प्राथमिकता दी गई है।
सवालों के घेरे में भर्ती प्रक्रिया: यह मामला एक बार फिर सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। इस घटना ने भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और लोगों में सरकार के प्रति अविश्वास पैदा किया है।
आगे क्या होगा? अब देखना होगा कि इस मामले में विभाग क्या कार्रवाई करता है और दोषी पाए गए अभ्यर्थियों को क्या सजा दी जाती है। साथ ही, सरकार को भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
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