बारिश के देवता किसानों और आम जनता पर इस बार मेहरबान हो सकते हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार को भविष्यवाणी की है कि इस साल भारत में मानसून का सीजन (चार महीने) सामान्य से अधिक वर्षा वाला रहने वाला है।

IMD के अनुसार, जून से सितंबर के बीच मानसून अवधि के दौरान देश में कुल मिलाकर दीर्घकालिक औसत (लॉन्ग पीरियड एवरेज) का 106 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान है। अगर आंकड़ों में देखें तो इस दौरान तकरीबन 87 सेंटीमीटर बारिश होने की संभावना है।
यह अनुमान किसानों के लिए अच्छी खबर है। अधिक बारिश का मतलब है कि खरीफ की फसलों की पैदावार बेहतर हो सकती है। साथ ही, अगली रबी फसल के लिए भी मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रह सकती है।
क्यों हो सकती है ज्यादा बारिश?
IMD के अनुसार, इस साल ज्यादा बारिश होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से एक प्रमुख कारण है अगस्त-सितंबर तक ला नीना (La Nina) परिस्थितियों का बनना। ला नीना एक जलवायुवीय घटना है जो प्रशांत महासागर में ठंडे जल के असामान्य रूप से कम तापमान से जुड़ी होती है। ला नीना की स्थिति आमतौर पर भारत में मानसून को प्रभावित करती है और अधिक बारिश का कारण बनती है।
इसके अलावा, मौसम विभाग का कहना है कि इस साल इंडियन ओशन डायपोल (IOD) की स्थिति भी अनुकूल रहने की संभावना है। IOD हिंद महासागर में एक मौसमी जलवायु घटना है, जो मानसून को प्रभावित करती है। सकारात्मक IOD परिस्थितियां आमतौर पर भारत में मजबूत मानसून का संकेत देती हैं।
हर जगह समान बारिश की गारंटी नहीं
हालांकि, मौसम विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुल मिलाकर ज्यादा बारिश होने के बावजूद, पूरे देश में समान रूप से बारिश होने की गारंटी नहीं है। IMD का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा पैटर्न में अनियमितता बढ़ रही है। ऐसे में कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश या सूखा पड़ने की आशंका बनी रहती है।
आगे मिल सकती है और जानकारी
मौसम विभाग ने कहा है कि यह अभी तक का शुरुआती अनुमान है। आने वाले समय में मौसम संबंधी आंकड़ों के और विश्लेषण के बाद मानसून को लेकर अधिक सटीक पूर्वानुमान जारी किए जा सकते हैं।